इजहार

इजहार
पीपल की शीतल छाया में, पास रहो तो बेहतर है
हर पूनम को क्यों मिलते हो, रोज मिलो तो बेहतर है
तुम भी चुप हो हम भी चुप हैं, कब तक यूं ही साथ चले
काट रही है ख़ामोशी, कुछ बात करो तो बेहतर है
सूखा दरिया, प्यासी मछली, भूखी नजरें, पूरा चाँद
यादों के इस एल्बम को मत खोलो तो बेहतर है
टूट गए दिल कच्चे घर का, बारिश के मौसम में
क्या-क्या ख्वाब संजोयें होंगे, मत पूछो तो बेहतर है
कवि अशोक कुमार गुप्ता द्वारा रचित
behatarin kavitaaen