मेरी कलम से
मेरी कलम से
मेरी कलम से नए नए है शब्द निकल रहे,
ऐसा लग रहा है जैसे खुली हवा में दीपक है जल रहे.
अब खुली हवा में जल रहे दीपक को बुझने नहीं देना है!
मेरी कलम ने नए नए विचार है जगाए,
मेरे आस पास के वातावरण से है अवगत मुझे कराये,
पेड़ पौधे ,नदियाँ, झरने ये भी कुछ कहती है,
कहती तो है बहुत कुछ बहती हुई हवायें भी.
पक्षियों की चहचहाहट जो मेरे कानो तक तो आती थी,
पर ये भी कुछ कहना चाहती है इसका आभास मुझे कराये.
मेरी कलम ने…!
मेरी कलम ने नए नए विचार है जगाए,
और भी बहुत कुछ व्यक्त करना है मुझे,
अपने विचारो को पन्नो में उतारने को मन मचल रहा,
मेरी कलम से नए नए है शब्द निकल रहे।
रचयिता- नम्रता गुप्ता
Kya baat hai..bahut khoob..
Very nice
Shandar
Beautiful 🥰🥰
Shandar
Wah di