इक पहेली जिंदगी
इक पहेली जिंदगी
इक पहेली है जिंदगी,
कभी हर पल साथ निभाती है,
और, कभी दूर छिटक जाती है ।
कभी हमकदम बन जाती है ,
और, कभी आगे निकल जाती है।
कभी प्यार जताती है,
और, कभी रूठ जाती है।
कभी सरल सी लगती है,
और, कभी समझ के परे हो जाती है।
कभी मीठे-मीठे सपने दिखा जाती है,
और, कभी सच्चा आइना दिखा जाती है।
कभी अपनी सी लगती है,
और, कभी परायी हो जाती है।
कभी खुशियों से भर देती है,
और, कभी आँसुओं में डूबा जाती है ।
कभी अपनों के दुलार से महका देती है,
और, कभी अपनों से ही अलग कर देती है।
कभी चहकती हैं, दमकती है,
और, कभी चुप लगा जाती है।
कभी इम्तिहान लेती है,
और, कभी बिन मांगे झोली भर देती है।
कभी रक्षक बन जाती है,
और ,कभी सब छोड़ जाने को कह देती है।
ऐ ज़िन्दगी,
तेरी पहेली को अब,
सुलझाना छोड़ दिया हमने,
अपनी डोर कसना छोड़ दिया हमने,
तुझ पर सब छोड़ दिया हमने ।।
रचयिता
राखी सुनील कुमार
Very nice !!!!!