समय के सदगुरु
||श्री सद्गुरवे नमः||
समय के सद्गुरु स्वामी कृष्णानंद जी के प्रगटोदिवस (दिनांक 8 दिसम्बर 2021) के पुण्य अवसर पर विशेष….
समय के सदगुरु
उठ जाग मुसाफिर भोर भई….अब रैन कहाँ जो सोवत है….!
अठारहवाँ अध्याय चल रहा है गीता समाप्त होने को है| कृष्ण गीता सुनाये जा रहे हैं अर्जुन को| कह रहे हैं कि, “जो ‘सर्वगुह्यतम्’ है- संपूर्ण गोपनीयों से भी अति गोपनीय रहस्ययुक्त- वह ‘अविनाशी’ योग- मैंने कह दिया| अब तू इस रहस्ययुक्त ज्ञान को पूर्णतया भलीभाँति विचार कर, जैसा चाहता है वैसा ही कर|” भगवान् कृष्ण अर्जुन को अपना ‘विराट’ रूप भी दिखा चुके हैं| लेकिन, उसका अहंकार टस से मस नहीं हो रहा है| वह शरणागत हो नहीं रहा है| मोह, ममता, अहंकार रुपी ‘तम’ को पकड़े हुए है| अर्जुन जाग ही नहीं रहा है|
‘समय का सदगुरु’ सोये हुओं को जगाने के लिए ही आता है|
सदगुरु कह रहा… मैं आ गया|
क्या देख रहा… मुड़-मुड़?
देख, मेरी तरफ….मैं हूँ खड़ा|
आगे बढ़…. एक कदम तो बढ़ा,
ले, थाम मेरा हाथ
ले चलूँ तो को मैं अपने साथ|
बिसरा दे पुरानी बातें
कर ले नयी शुरुआत|
हो जा प्रकाशित,
जला ले ज्ञान का दीप…|
देख! कहाँ है अंधियारा…?
आलोकित है अंतर्जगत सारा…|
हो गया उजियारा…
दिख रहा ‘प्रियतम’ प्यारा…
जगत का पालनहारा|
अब तो लागे है सारा जगत ही न्यारा|
क्या सोचन लागे है….वो हो गया तिहारा|
सदगुरु राह तके है, क्यों करे विचारा..?
उठ! हो जा खड़ा|
मुर्दा सा क्यों है पड़ा?
तू है ‘जीवंत’….
थाम गुरु का हाथ…
और… हो जा तू भी अनंत|
जन्मों जन्म के पुण्य हैं जागे….
परमात्म-कृपा हुई अपार!
सदगुरु आया तिहारे द्वार..,
प्यारे, अब तो जाग!
आँखें खोल….!
निकला सूरज… हो गयी भोर…|
देख तो ले, तू मेरी ओर…!
बढ़ा ले कदम, अनंत की ओर..!
सद्गुरु टाइम्स पत्रिका से साभार
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‘समय के सदगुरु’ स्वामी कृष्णानंद जी महाराज
आप सद्विप्र समाज की रचना कर विश्व जनमानस को कल्याण मूलक सन्देश दे रहे हैं| सद्विप्र समाज सेवा एक आध्यात्मिक संस्था है, जो आपके निर्देशन में जीवन के सच्चे मर्म को उजागर कर शाश्वत शांति की ओर समाज को अग्रगति प्रदान करती है| आपने दिव्य गुप्त विज्ञान का अन्वेषण किया है, जिससे साधक शीघ्र ही साधना की ऊँचाई पर पहुँच सकता है| संसार की कठिनाई का सहजता से समाधान कर सकता है|
स्वामी जी के प्रवचन यूट्यूब चैनल पर उपलब्ध हैं –
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