खामोशियां
खामोशियां
कभी-कभी यह खामोशियां भी, बहुत कुछ कह जाती हैं।
परिंदों को झरोंखों से उड़ान भरने की आस लगा जाती हैं।
आसमान मुझे उसमें रंग भरने को उकसा जाती हैं।
खामोश फिजाएँ भी चुपके से कोई तैयारी कर जाती हैं।
यें खालीपन भी ख़ुदको समझने, को कह जाती हैं।
दर्पण देख ख़ुदको पहचाननें, को कह जाती हैं।
जिंदगी बाहें फैलाएं तेरी राह देख रही हैं।
कभी-कभी यह ख़ामोशियां भी, बहुत कुछ कह जाती हैं।
Khamoshiyan awaaz hai
Tum sunne toh aao kabhi
Chukar tumhe khill jaayengi
Ghar inko bulaao kabhi
Beqarar hai baat karne ko
Kehne doh inko zaraa..
Khamoshiyaan..
Khamoshiyan..
Lipti hui khamoshiyan..
So true and thought provoking…
Thank you so much Philo 🥰❤
Superb as usual😘😘
Thank you so much Madhu 🥰