चल री सखी
#InternationalWomensDay2022
चल री सखी
चल, चल री सखी
थोड़ा अपने लिए भी वक़्त निकलते है।
सुबह से शाम तक की दिनचर्या से
बस आज का एक दिन,
खुद से खुद को मिलाने मे गुजार देते है।
दिनभर के वही काम,
पति का ऑफिस, बड़ों की सेहत, बच्चों की पढाई,
थोड़ा समय,
अपने लिए भी चुरा लेते है।
चल, चल री सखी
थोड़ा अपने लिए भी वक्त निकलते है।
आईने मे खुद को निहारा तो
माथे पर लकीरें दिखाई देती है
उलझे बालों को सवारा तो
कुछ सफ़ेद बाल बुढ़ापा की आहट दे गये,
चिंतित मन, हम बार – बार सम्हालते है।
चल ,चल री सखी
थोड़ा अपने लिए भी वक्त निकालते है।
चाय की चुस्कियाँ लेकर
करेंगे हम लम्बी -लम्बी बातें
अपने वजूद पर जम चुकी धूल की परत को,
हटा देते हैं अपने हंसी और ठहाको से ।
चल, चल री सखी
थोड़ा अपने लिए भी वक्त निकलते है।
महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
नम्रता गुप्ता