एहसास
एहसास
दबी दबी सी जिंदगी के रास्ते हजारों हैं,
मुकद्दरों को बदलने के ख्वाहिशें हजारों हैं,
ये दिल मचल मचल के जाने किस के इंतज़ार में,
डुबो दिया है नाव अपने फतह की, तालाब में ,
है झुंड दोसतानों की खड़ी है तुझ पे फ़क्र से,
है जानता क्या बेखबर तू लटक रहा है डूबती कश्ती में ,
उठा हथेली थाम ले, तू जिंदगी की डोर को,
गुज़र गया है वक्त जिसको पुकारता खड़ा है तू ,
है दूर से पुकारती है मुस्कराती जिंदगी ,
खबर नहीं तुझे, कि तू खो गया है बीते वक्त में ,
निकल ज़रा तू देख आ
क्या दिया है तुझको वक्त ने,
खोल कर तो देख आज़मा तो अपने जीत को ।।
नवुडूरि कल्याणी
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