माँ, तुम कैसे कर लेती हो?

#mothersday2022
माँ, तुम कैसे कर लेती हो?
सूरज के उठते ही उठ जाती हो,
हर रोज एक नई उम्मीद जगाती हो,
माँ, तुम कैसे कर लेती हो?
चेहरा देख, बिन बोलें, तुम मन पढ़ लेती हो,
भूख से चिढ जाऊं, बिन बोले, खाना लें आती हो,
माँ, तुम कैसे कर लेती हो?
जब मेरी तबीयत ख़राब हो तो, रात भर जागती हो,
जब ख़ुद पर बन आए तो, किसी को नहीं बताती हो,
माँ, तुम कैसे कर लेती हो?
जब रोटियां कम पड़ जाए, अपनी रोटी दे आती हो,
खुद बंसी रोटी खाकर
धीरे से मुस्काती हो,
माँ, तुम कैसे कर लेती हो?
जब नाउम्मीदी आंख भर आए,
तब ना जाने कैसे हंसा देती हो,
माँ, तुम कैसे कर लेती हो?
तुम्हारी थाली से खाना का स्वाद ही है, निराला
तुम्हारी पुरानी साड़ी को पहनने का मजा ही कुछ और है,
माँ, तुम कैसे कर लेती हो?
तुम ममता की मूरत तो हो ही,
पिता का भी फर्ज बखूबी निभातीं हो,
माँ, तुम कैसे कर लेती हो?
जब चांद दिखे आसमान में,
तुम दिल में ठंडक सी पहुंचाती हो,
माँ, तुम कैसे कर लेती हो?
Simple but powerful
Thank you Dinesh ji 🙂
MAA – The only person in the world who loves you unconditionally.
Very true ☺️
Absolutely beautiful and so touching… Loved it!!!
Thank you Philo 😂
Lovely thoughts 😊❤️
Thank you dear 💘😊
Yes yeh to Maa hoti hai.
Very nicely narated.
Hmmm… Bilkul yehi hoti hai Maa 🥰
So beautifully depicted. Excellent
Thank you so much Dada 😇🙏🏻
Beautiful poem..
Thank you very much 😍🙏