परिवर्तन
#INDEPENDENCEDAY2022
परिवर्तन
चल अचल जीवन के पथ पर,
कंटक कंकड़ आच्छादित रथ पर,
फिर अपना विश्वास अडिग कर,
परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त कर।
हे मनु पुत्र , हे पार्थ,
हे मधुसूधन के कृपा पात्र,
निर्भय, निडर उठकर फिर आज,
सत्य गांडीव की कर टंकार।
बंधु बाँधव नहीं यहाँ पर,
ऐक्य धर्म बंट रहें आज,
उद्धित, अबाधित, अविजित निशचर,
तरुणित धरा पाताल कर रहे आज।
शस्य श्यामला तरुणित धरा पर,
धूमिल जब विश्वास हो रहा,
कहो कैसे तुम बैठे अब तक,
मूल्य जीवन जब ध्वस्त हो रहा।
जन जन हैं सब त्रस्त यहाँ पर,
पथ पथ पर हैं भ्रष्ट यहाँ पर।
अब भी मोह, अब भी माया,
किस कारण दी थी यह काया?
कुरुक्षेत्र की कर ललकार,
पुनः उठ, गांडीव संभाल।
सत्य शस्त्र रत शास्त्र संभाल,
अधम अधर्म का कंट निकाल।
अवश्यम्भावी परिवर्तन है अब,
उत्तिष्ठ भारत! नेतृत्व संभाल।
परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त कर,
दुराचार, अत्याचार, भ्रष्टाचार का कंट निकाल।
रचयिता: आशीष कुमार त्रिपाठी “अलबेला”