विचलित मन
विचलित मन
उदास – सा मन, घबराता क्यों है?
पुरानी यादों में जाकर ठहर जाता क्यों है ?
निकल आ उन यादो के घेरे से
जो बीत चुका वो अब भी लुभाता क्यों है?
यादों में जाकर देखे तो
बहुत हसीं थी वो ज़िन्दगी
फूलो की पंखुड़ी की तरह
“कमसिन ” सी थी ज़िंदगी
न थी कल की परवाह
न थी आज की चिंता
उमंग से भरे थे हम
खुशियां थी हर जगह
पुराने दिनों में जाकर उलझ जाता क्यों है,
उदास, विचलित मन घबराता क्यों है ?
नम्रता गुप्ता