माँ, तुम बहुत याद आती हो

मेरी कविता “ माँ तुम बहुत याद आती हो” उन सभी लोगों को समर्पित है जिन्होने उम्र के किसी ना किसी पड़ाव मे अपनी माँ को खोया है। इस कविता में एक लड़की जिसने किशोरावस्था में अपनी माँ को खोया है उसकी पीड़ा को शब्दों मे उतारने का प्रयास किया है
माँ, तुम बहुत याद आती हो
हर पल हर लम्हा मेरे साथ हो तुम, कई सालो मेरे दिल को ये समझाती हूँ।
तुम बहुत याद आती हो माँ, मैं भूल नहीं पाती हूँ ।
याद है मुझे वो दिन जब आखिरी साँसे ली थी तुमने,
मेरे लिये तो जैसे सारा संसार ही ठहर गया था ।
तुम्हे दोबारा कभी ना देख पाने का सोचकर बहुत घबरा गयी थी
बचपन से लेकर अब तक का समय आँखों के सामने से एक पल मे गुजर गया था
भगवान से शिकायत करते हुये रोज कहती थी कि क्यों नहीं तुम्हारे साथ मैं भी चली जाती हूँ ।
तुम बहुत याद आती हो माँ………….
गुमसुम से रहने लगे थे पापा उस दिन से ही,
मुझे बहलाने के लिये उनकी वो मुस्कान भी झूठी थी ।
घर का माहौल ही बदल गया था तुम्हारे जाने से
किससे करते शिकवा जब किसमत ही हमसे रुठी थी
घर के कामों से लेकर खाना बनाना भी सीख गयी हूँ मां, बस तुम्हारी ममता की भूख नहीं मिटा पाती हूँ
तुम बहुत याद आती हो माँ………………….
सारे जन्मदिन और त्यौहार अब तुम्हारे बिना ही मनाती हूँ।
Mother’s Day आने के कई दिन पहले से ही, मैं बेचैन हो जाती हूँ ।
ना कोई राई मिर्ची से नज़र उतारता है, ना परिक्षा में जाने से पहले दही शक्कर खिलाता है।
बाकी लोगों को अपनी माँ के साथ देखूँ, तो आसुँओं का घूट मन में ही पीकर रह जाती हूँ ।
सब दिखाते हैं मुझपर दयाभाव, अब मैं बिन माँ की बेटी कहलाती हूँ ।
तुम बहुत याद आती हो माँ……………….
कॉलेज खतम कर, जिस दिन सरकारी नौकरी का पत्र मेरे हाथ में आया था
मुझे याद है कितनी खुशी से पापा ने उसे तुम्हारी फोटो को दिखाया था ।
आह! तुम होती माँ, मुझे पता है कि ये खुशी तुम्हें कितनी प्यारी थी
तुम्हारे प्यार, विश्वास और दुआओं ने ही मेरी किसमत सँवारी थी ।
तुम ही हो मेरी प्रेरणा, इसीलिये तुम्हारा न होना भी मैं होना मानती हूँ ।
तुम बहुत याद आती हो माँ………
जब पापा ने मुझे किया था विदा तब गुपचुप वो बहुत रोये थे,
तुम्हारे हिस्से का प्यार भाई और पापा से ही पाया है ।
अब तो मेरे घर भी आ गयी है एक नन्हीं सी परी,
उसे देखूँ तो लगता है, जैसे वो तुम्हारा ही साया है।
जैसे तुम मुझे बुलाती थी प्यार से ईजा वैसे ही मैं उसे प्यार से *ईजा ही बुलाती हूँ ।
(ईजा कुमाँउनी शब्द है जिसका अर्थ माँ होता है, पर हमारे गाँव में छोटे बच्चे चाहे वो लड्का हो या लडकी प्यार से ईजा बुलाते है।)
तुम बहुत याद आती हो माँ……………………
माँ से ही होता है मायका, ये सोचकर अब वहाँ भी कम ही जाती हूँ ।
पापा भाई भाभी सबसे मिलकर जल्दी ही वापस आ जाती हूँ ।
क्यूँ चली गईं माँ तुम मुझे छोड़कर, कितनी खुशियाँ कितनी बातें अधूरी ही रह गयी
यूँ तो आज सब कुछ है मेरे पास पर, दिल के कोने मे ममता वाली जगह खाली ही रह गयी।
कमी तुम्हारी ताउम्र रहेगी माँ, ये जानते हुये भी मैं कह नहीं पाती हूँ ।
तुम बहुत याद आती हो माँ……………………………………
आरती
मेरे ह्रदय को sparsh कर गई आपकी ये kavita