परिपक्वता
परिपक्वता
वो पल, जो पल गुजर गए ,
मुफलिसी के हो, या शहंशाही के
जिम्मेदारी के हो या बेपरवाही के
याद आता है तो, अच्छा लगता है ।
कि वो भी एक दौर था,
जब जीवन कुछ और था
आसान था या मुश्किल था,
वो समय, वो पल बीत गए।
गुजरे कारवां में जो धक्के मिले थे
मंजिल पर पहुंचा पाए, न पाए
कुछ तो सिखा ही गए!
जो पल, उस पल बुरा था ,मगर,
ढेरों उलाहना से भरा था, मगर,
उससे अब क्यों शिकायत नहीं
आज वो बात समझ में आती है
वो क्या था,
जो जिंदगी सीख दे गई
जीवन के इस पड़ाव पर जब
मुड़ कर देखा तो पाया,
एक उम्र बीत गई।
रहता नहीं कुछ भी थमकर,
अच्छा या बुरा, बद या बदतर
हाँ खुशी के पल बस, हवा के झोंके,
तकलीफ के बादल छँटते भी नहीं,
इंतजार के पल कटते भी नहीं ।
यही परिपक्वता है शायद,
जब हम जानते हैं, बीत जाएगा सब,
जो भी गुज़रेगा, बस गुजर जायेगा !
समय का पहिया रूकता नहीं है,
चलता रहता है, अनवरत,
थमता नहीं है।
मीनू यतिन
Photo by Rahul Pandit: https://www.pexels.com/photo/pensive-young-ethnic-woman-relaxing-on-boat-deck-sailing-in-sea-4089809/