एक लम्हा

एक लम्हा
वो जो एक लम्हा होता हैं न!
गुस्से का, नाराजगी का,
बड़ा कीमती होता है
अगर हम बचा लें
उस लम्हे को खर्च होने से,
तो हम बचा लेते हैं
कई रिश्तों को दरकने से,
किसी की आँखों को रोने से
कई लोगों को सिसकने से
किसी चेहरे की मुस्कान
अचानक खोने से ।
कुछ देरसंभाल लें ,
तो फिर अपना मन भी,
नहीं फंसता,पछतावे के भंवर में
नहीं डूबता सभंलता,
अपने ही अदंर
कि काश! हम रोक पाते खुद को,
के ग्लानि से बचा रहता,
जब हम खर्च कर देते हैं वो लम्हा
कई बार, वो ले जाता कई
दिनों का सुकून,
और सम्मान शब्दों और आंखों से
दे जाता है
बात बेबात बढ़ती बात
तनाव भरे माहौल और
खिचें -खिचें से चेहरे।
आवाज की लय ताल और भाषा
तमतमाए चेहरे और बड़ी आंखें
खुद भी गौर से
देख लो खुद को
खुद को नहीं पाओगे,
ये आइने में अक्स है किसका?
देख के डर जाओगे!
हम खुद भी पसंद नहीं करते ऐसे
खुद को तो कोई और करेगा क्या?
एक लम्हा, बीत जाएगा,
तो भी बीत सकेगा क्या?
मीनू यतिन
Waaw wanderful bahaut sahi likha hai 👌👌
Thank you 🙏
Lovely 🥰
Thank you sweta