मां ऐसी ही होती है।
#Mothersday
मां ऐसी ही होती है।
कभी कहती नहीं
जाने वो कैसे सब सह लेती है
आंखो में दर्द को अपने
मानो जैसे रख लेती है
मां ऐसी ही होती है।
अपने हिस्से का सुख भी वो
दूसरो के लिए कैसे
हंसते हंसते खोती है
मां ऐसी ही होती है।
जब रास्ते कठिन हो
और अंधेरे घने छाए हों
मां ही तो तारों को
अपनी हंसी में पिरोती है
मां ऐसी ही होती है।
उसके भी जज्बात हैं
दिल में उसके भी बात होती है
पर कहां कोई सुन पाता है
उसकी तो बस यूं ही
सुबह से रात होती है
चांदनी रातों की
शीतल बयार जैसी है
मां होती ही ऐसी है।
अपनी मुरादो को वो
तकिए के नीचे लिए सोती है
सबकी जेबों में अपनी
दुआओं का अक्स बोती है
लौटने का सबके पल पल
चौखट में इंतज़ार संजोती है
मा ऐसी ही होती है ।
सर दर्द
कमर दर्द
थकान भूल कर वो
उलझनों में बस अपनी खोती है
सारी दुनिया से छिपकर वो
अपने हक कि खुशियां भी
घरौंदे के किसी कोने में
ताक पे रख के सोती है
मां ऐसी ही होती है।
मां ऐसी ही होती है।।।
रेणु