वो माँ है, वो सब जानती है।

वो माँ है, वो सब जानती है।
पूजा की थाल और
पीपल की परिक्रमा से
निर्जला व्रतों में क्या पा जाती हो ?
मंदिर में हाथ जोडे़
आँचल फैला कर क्या माँगती हो ?
पूछता हूँ तो
मेरे सर पर हाथ फेर कर
मुस्कुराती है
वो माँ है, वो सब जानती है ।
मैं उसकी तरफ देखूँ न देखूँ
वो आँखों को मेरी
पढँती जाती है ,
मेरा मन वो मेरे चेहरे से
भांप जाती है
वो माँ है, वो सब जानती है।
अच्छे बुरे का फर्क
उसने बताया मुझको
मेरे जिद करने पर ,
कभी धमकाया मुझको
डाँटा जब भी मुझको,
फिर उसने गले लगाया
कब कैसे क्या समझाना है,
बेहतर वो जानती है।
वो माँ है ,वो सब जानती है।
मैं बोल भी न पाता था जब
मेरी भूख प्यास का उसको पता था
मैं जब भी छुपाता हूँ तकलीफ कोई
जाने कैसे ,सब समझ जाती है,
वो माँ है, वो सब जानती है।
उसे पता है मेरी हर पसंद ,नापसंद
मुझसे ज्यादा मुझे जानती है ,
मेरी तकलीफें उसकी
गोद में जाते ही सो जाती हैं।
वो माँ है वो सब जानती है।
मेरी दुनिया है मेरी माँ
सब तरफ खुशहाली लगती है
जब मुस्कुराती है मेरी माँ।
मैं उसकी खुशी की वजह बनूँ,
और उसके सपने पूरे कर दूँ,
उसकी आखोंं में झलके जो
मैं उस हसीँ की वजह बनूँ।
मैं उसकी आखों में चमकूँ
उसका संसार है परिवार उसका
मुझे ,वो अपनी आँखो का
तारा बुलाती है ।
वो माँ है वो सब जानती है।
मीनू यतिन