वो लड़की

मेरी प्यारी ‘प्रार्थना’ के लिए
वो लड़की
पैरों से धरती पर एक
थाप सी पड़ती है
मस्तमगन सी वो लड़की
जब नाचने लगती है
कानों में उसके जाने
क्या घोलता है संगीत
पवन सी वो लड़की
झूमने लगती है
पैरों में न पायल है न घुघँरू
मगर क्यों एक
झनकार सी बज उठती है
मयूरी सी वो लड़की
जब थिरकने लगती है।
जी करे के बस
देखते जाऊँ उसको
भाव भंगिमा भरी
इधर चली, उधर चली
निगाहें मुस्कराते हुए
उसके चेहरे पे
जा टिकती हैं
मलगं सी वो लड़की
खुद सुरों सी बिखरती है।
मीनू यतिन
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