यह संसार तुम्हारा है
#महिलादिवस
यह संसार तुम्हारा है
तुम नदी हो
तुम धारा हो,
मंझधार तुम ही
तुम ही किनारा हो
मत रोको अपनी सोच
अपनी उडान को,
कहो हमेशा अपनी
और सुनो अनजान को.
दिया तुमने खुद को
फिर कमजोर कहां हो,
अपनी शक्ति खुद
अपना जहां हो.
पहचानो खुद को,
बर्चसव सम्हालो अपना
ख्वाब सजाओ ,
पूरा करो हर सपना.
धरती सा धारण करो
झरने सा निर्झर बहो
साख अपनी स्वयं बनाओ
अपना साथ तुम स्वयं निभाओ.
वो और थी जो
विरोधो को सह नही पाइ ,
संग गुजरी जो कभी
वो कह नही पाइ .
चौके के धुए मे संलग्न आंखे
कहां भूल पाती है,
कच्ची पकी ही सही
स्वाद कहां पाती है,
रखती है सबका मान
पर अपना कहां पाती है,
पीढीयो से प्रथा यह चली आई है
बेटी के जन्म पर मां गइ सताइ है.
रीति-रिवाज के नाम पर
औरते ही सब निभाई हैं.
परम्पराए जो थक चुकी है
उनका संहार करो,
नया जीवन नइ रौशनी का
हर पल तुम संचार करो,
अपना मान तुम स्वयं करो
आकाश तुम्हारा है,
हाथ बढाकर छूना है बस
यह संसार तुम्हारा है..
@रेणु
Photo by Matheus Bertelli: https://www.pexels.com/photo/woman-using-umbrella-with-lights-573238/