नारी सम्मान
#InternationalWomensDay2022
नारी सम्मान
जो नारी का अपमान ना होता,
तो महाभारत का युद्ध ना होता।
द्युत क्रीड़ा का छल ना होता,
धर्म भी यूँ विफल ना होता।
हस्तिनापुर दरबार में, चौपट जो
बिछा हुआ था,
उसकी बिसात में, कुरुक्षेत्र का
रण छुपा हुआ था।
शकुनि के चालों पर,
धर्मराज सब हारते जाते थे,
लालच की ज्वाला में,
भ्राता संगिनी की आहुति
डालते जाते थे।
धर्मराज का विवेक जो
मृत ना होता,
तो महाभारत का युद्ध ना होता।
विनाश काल ने,
दुःशासन को भरमाया था,
इसलिए द्रौपदी को उसने,
भरे दरबार में,
घसीट कर लाया था।
भीष्म का राजप्रेम,
जो सुषुप्त ना होता,
तो महाभारत का युद्ध ना होता।
नारी के अपमान से,
कौन कब बच पाया है,
याद नहीं, अजेय भीष्म को,
अम्बालिका ने हराया है?
गांधारी के सौ पुत्र तो
तब ही मर गए होंगे,
जब दुःशासन के हाथों ने,
पांचाली के केश
छुए होंगे।
धृतराष्ट्र, पुत्र मोह में
जो लिप्त ना होता,
तो महाभारत का युद्ध ना होता।
नारी,
पुरुषों के रचित नाटक में,
अपने पात्र से मारी है।।2।।
जब तक वो जागे नहीं,
तब तक ही, वो लाचारी है।
पर जब वो जाग उठे,
वो अबला नही, तब वह
केशव पर भी भारी है।
चाहे वो,
पांडवों की द्रौपदी हो,
या कौरवो की गांधारी है।
जब जब इस धरा पर
नारी का अपमान होगा,
एक बार नहीं, सौ बार,
महाभारत का विनाश होगा।
फिर नारी,
या चामुंडी, या काली का
रूप लेगी,
या फिर दुर्गा का अवतार होगा।
अन्यथा, बनकर सीता,
बनकर द्रौपदी,
नया खेल रचाएंगे,
मजबूरन राम, फिर कृष्ण
इस धरती पर आएंगे।
हथियार विध्वंस का
फिर से वह उठाएंगे।
हर युग में यह संदेश जो,
प्रचलित होता,
तो महाभारत का युद्ध ना होता।
तो महाभारत का युद्ध ना होता।
रचयिता- दिनेश कुमार सिंह
Painting by Raja Ravi Varma