एक दिन का नही यह त्योहार

#InternationalWomensDay2022
एक दिन का नही यह त्योहार
कोई एक दिवस क्यों उसका
हर रोज जो जीती मरती है
जो सूरज को अनदेखा कर
चांद तारो से बातें करती है।
संवारती है उन पलों में खुद को
खामोशी में सब बया कर लेती है
सहेजती है सम्हलती है सब
बस खुद को फना कर देती है।
वो चाहे तो क्या न कर ले
सूने जीवन में रंग भर ले
पर चुनती है इंद्रधनुष भर
ताकि सबके मन की कर ले।
सम्मान मर्यादा स्वाभिमान का
एक दिन का नही त्योहार है,
समझ सके जो स्त्री का रुतबा
मानवता का व्यवहार है,
जो सबका जीवन संवारती
उसका सच्चा यही श्रृंगार है
सबकी नजरों में मान रहे
हर स्त्री का ये अधिकार है।।
रचयिता रेणु पांडे
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Very nice …