मेरा शहर
मेरा शहर
जहाँ लिया जनम, खेली बढ़ी मैं
सीखा जहाँ चलना ,जहाँ की पढ़ी मैं
जहाँ हैं दोस्त मेरे, जहाँ का हमसफर है
वो शहर मेरा, जहाँ मेरा घर है
जहाँ रिश्ते हैं मेरे, और मेरे जनक, माँ
वो अपनी सी धरती
पहचाना सा आसमां
घूम लूं सारा जहां बनके मुसाफिर यारों
वो घर सा सुकून और कहाँ
है कई और वतन इस जहां में,
मुझे मेरे सरज़मीन सा और कहाँ
मीनू यतिन
Photo by Sami Abdullah: https://www.pexels.com/photo/a-woman-in-a-dress-standing-on-roof-7993925/
Thank you so much sir.
मेरा शहर
मीनु यतीन जी ने अपना दिल खोलवर लिखी है यह कविता| उनकी और कविताए पढने के लिए उत्सुक हूँ|
Thank you so much sir.