भीगी आंखे
भीगी आंखे
भीगी आंखों का पानी
कुछ याद दिलाता है,
बिता हुआ कल
रह रहकर याद आता है।
भीगी आंखों का पानी …
कविता के शब्द, बहुत
गहरे होते है।
अंधेरो को चीरती,
सूरज की किरणों से
सुनहरे होते है।
इसलिए सब कुछ साफ
नजर आता है।
भीगी आंखों का पानी …
मैं जब बोलूंगा तो
बरसात होगी,
आकाश से कम,
आंखों से ज्यादा होगी।
हर शब्द पर, चित पर,
कोई चित्र उभर आता है।
भीगी आंखों का पानी …
रचयिता- दिनेश कुमार सिंह
Photo source : pexels.com