ख्याल
ख्याल
ख्याल तो बहुत आते हैं मगर
जेहन में ही रह जाते हैं
उमड़ते- घुमड़ते हैं रह- रह कर
पन्नों पे आने में कतराते हैं ।
शब्दों की सीमाओं में
दम घुटता है शायद,
या कलम की नोकं
देख कर डर जाते हैं ।
कौन उन्हें कैसे लेगा
कौन कहाँ कड़ी जोड़े
सहम के मुझमें छुप जाते हैं ।
यूं भी होता है अक्सर
उठते गिरते खुद ही
चूर चूर हो जाते हैं ।
ख्याल तो बहुत आते हैं मगर
जेहन में ही रह जाते हैं।।
रचयिता – मीनू यतिन
Beautiful ✨✨✨
Thank you!