खुदा
खुदा
ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।
हैं कहाँ लफ्ज मेरे शिद्दत से भरे
वो इनमें जादू जगा रहा है ।
ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।
हूँ जानती ,वो है पास मेरे
अपना एहसास दिला रहा है ।
मैं खेलती हूँ, बच्चों के संग जब
वो उनकी हँसी में, मुस्कुरा रहा है ।
ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।
मेरा वजूद क्या था रेत का जर्रा
वो मुझको इंसा बना रहा है ।
निगाहों से तुम गिरा रहे थे,
वो मुझको ऊपर उठा रहा है ।
ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।
कोई जब न था पास मेरे
मेरे साथ मेरा खुदा रहा है ।
दिल ये, मुश्किलों से घबरा रहा है
वो आकर मुझको बचा रहा है ।
ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।
है उस पर भरोसा मुझको ,
वो ,यकीन मेरा,
मेरा साथ देकर निभारहा है।
ये मैं नहीं हूँ, जो लिख रही हूँ
ये है खुदा, जो लिखा रहा है।
मीनू यतिन
🙏thank you
Bahut sundar likha hai 👌👌👍
🙏thank you