दुआ
दुआ
हो रहा था
ख्वाहिशों का बँटवारा
मैंनें रहमत -ए-रब मांग ली।
हाथ उठे जब भी
दुआओं के लिए
आसमान वाले से,
तुम्हारी चाहत माँग ली।
मुस्कराते रहे बच्चे मेरे
, ऐ खुदा,
दुनिया छोड़ दी मैंनें
ये दौलत माँग ली।
वो कहते रहे के
ईमान की कीमत नहीं
मैंनें मुस्कराते हुए
गैरत माँग ली।
तमाम फरिश्तों को
दरकिनार किया
मैनें माँ बाप की
मोहब्बत माँग ली।
चाँद सूरज की चमक
फीकी कर दी
रहनुमाई के खातिर
दोस्तों की संगत माँग ली।
मीनू यतिन