दान की महिमा कही न जाये |

दान की महिमा कही न जाये |
कोरोना के विश्वव्यापी संक्रमण काल में ‘समय के सद्गुरु’ स्वामी कृष्णानंद जी का भक्तों, साधकों, शिष्यों एवं श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन व आशीर्वचन .
प्रिय आत्मन्,
अभी बार-बार हमारे यहाँ खबर आ रही है, बड़ी विषम परिस्थिति में हैं | कोरोना घेर रहा है | देखो हम लोग सोचते नहीं हैं कि क्या करें ? आप लोग जानते हो कि एक आदमी का कोरोना हम ले लिए थे, फटाफट एक-दो मिनट में वह ठीक हो गया | उसका रोग हमारे ऊपर आ गया | अब यदि हम पूरे देश का भी ले लें तो होगा ? इसलिए हम इसका निवारण बता रहे हैं, जो सक्षम है वह कर सकता है |
हम देखते हैं कि कोरोना में कोई जाता है तो ढाई से तीन लाख रुपया जमा करा लिया जाता है, फिर भर्ती करता है अस्पताल | हमारे यहाँ परमात्मा का प्रतिनिधि डॉक्टर को मानते थे, लेकिन आजकल डॉक्टर पहले पैसा जमा करा लेता है, हॉस्पिटल में तब इलाज शुरू होगा | ऑक्सीजन देख रहे हो ब्लैक हो रहा है, दवाइयाँ ब्लैक हो रही हैं | यह क्या यमराज का खेल नहीं है ? 13 अप्रैल 2021 (चैत्र नवरात्र प्रतिपदा) को नववर्ष शुरू हुआ, पहले ही दिन हमने कहा था कि इस वर्ष का नाम राक्षस है, राजा मंगल है और मंत्री भी स्वयं मंगल है | मंगल क्रूर है | यहाँ दया से काम नहीं चलेगा | इसमें वही बच सकता है जो गुरु और गोविन्द की छत्रछाया में बिलकुल सट गया है | अपना तन, मन, धन गुरु और गोविन्द को अर्पित कर दिया है | मंगल और राक्षस का राज वहाँ नहीं चलेगा, वह बचा रह जायेगा |
एक नहीं दर्जनों उदाहरण हैं, हमारे शिष्य हैं सब | एक के परिवार में चार-चार लोग डॉक्टर हैं, वहीं उनका अपना हॉस्पिटल भी है | वह भी डॉक्टर धैर्य खो दी कि बचने की कोई उम्मीद नहीं है | अब मैं क्या कह सकता हूँ ? कहा कि संकल्प एक कमरे का ले लो | महाराष्ट्र के आश्रम में कमरे बन रहे हैं | बद्रीनाथ में तो निर्माण बंद है, मुंबई में काम अभी चालू है | वे लोग चार आदमी फटाफट लिए एक-एक कमरे का | भेज भी दिए वहाँ लोग | अब आपलोग कल्पना करो कि डॉक्टर होते हुए जो कह दिए – नो चांस, एक घंटे के भीतर आईसीयू से निकाल दिए गए और दूसरे दिन घर भेज दिया गया | यह क्या कहोगे ?
दूसरा बता रहे हैं, वो जीएम हैं | इंडियन आयल कारपोरेशन से रिटायर्ड | एक कमरे का उन्होंने फटाफट ट्रान्सफर किया | अब उनको जो बेड नहीं मिल रहा था, हॉस्पिटल से घर भेज दिया गया | बेड की ज़रूरत ही नहीं | ठीक हो गए |
अभी तेलंगाना में एक शिष्य हैं | अभी शिष्य ही बना है बेचारा, बाप-बेटा को कोरोना हो गया | हालाँकि बड़ा व्यापारी है, आश्रम बनवा रहा है इसके बावजूद भी फंस गया | हम जो कह रहे हैं, that is exchange of energy. यदि मैं उस पैसे को लेकर खा जाऊँ, अपने पर लगा लूँ तब वह एक्सचेंज ऑफ़ एनर्जी तो नहीं हुआ न ! इसलिए हमारे यहाँ कहा गया है कि जो जिस अकाउंट में दिया है, उसे लिखो | जब परमात्मा के यहाँ जा रहा है, उससे ट्रान्सफर ऑफ़ एनर्जी हो रहा है तो उसी के अकाउंट में जायेगा न ? और जानते हो, वह जैसे ही लिया वहाँ तेलंगाना में, मैं तो यहाँ बैठा हूँ | वहाँ से खबर आई कि गुरुजी, दूसरे दिन ही सब आईसीयू से निकल आये बाहर | मामला ख़त्म | तो देखो एक्सचेंज ऑफ़ एनर्जी की कीमत होती है |
अब मान लो कि तुम्हारी सीरियस स्थिति है, तो इसमें यह भी है कि संकल्प किसी ब्लड रिलेशन वाले को लेना होगा | पत्नी है तो उसका पति ले, लड़का ले, लड़की ले – दूर का रिलेशन उसमें नहीं काम आता है | इसीलिए ब्लड रिलेशन वाला ही मुखाग्नि देता है | वही संकल्प लेता है | भारतीय वांग्मय में यह है | अभी लड़की का लड़का मुखाग्नि नहीं देता है | गोत्र बदल गया उसका | इसीलिए संकल्प में अपने गोत्र का नाम लेते हो, अपना रक्तसम्बन्धी ही मुखाग्नि देता है | और वही दान का भी संकल्प लेता है |
तो संकल्प कर लें मन में | बहुत लोग कहते हैं कि दस लाख, बीस लाख लग रहा है | अभी हमने सुना, दस-दस, बीस-बीस लाख लगाकर लोग मर रहे हैं | हॉस्पिटल से सर्टिफिकेट मिल रहा है निर्दयी की तरह | लाश रखने नहीं देता है | लेकिन यदि एक कमरे का ही संकल्प ले लेते हो फटाफट, तो हमने देखा है कि लगभग शत-प्रतिशत लोगों का काम ठीक हो गया है | और जो चुप लगा जाता है कि गुरुजी, हम पांच हज़ार का- दस हज़ार का ले लिए, वह कहता है भी नहीं है | माने हम जान जाते हैं कि क्या कर लिया | उसका काम भगवान् भरोसे है | अब वह जाने | उसमें मैं कुछ कह नहीं सकता हूँ | क्योंकि मैं तो आपके और परमात्मा के बीच से हट जाता हूँ संकल्प के माध्यम से | कोई भी पंडित जब संकल्प कराता है तो वह अपने हट जाता है बीच से | संकल्प के माध्यम से उस देवी-देवता के सामने से न तुमको करा देता है ! अब जिस देवी-देवता के लिए संकल्प की राशि रखवाता है, वह फलाफल देता है | न कि वह ब्राह्मण | अब समझे ! हम तो कहते हैं कि कोई तंत्र नहीं, कोई मन्त्र नहीं, आप अपने से संकल्प लो – आश्रम के कमरे या द्वारिका में भूमि के लिए | अपने से प्रभु से निवेदन करो | गुरु साक्षी होता है | गुरु की तुम्हारे यहाँ उपस्थिति है | गुरु उपस्थित रहेगा | हाँ, परमात्मा के दरबार में जब तुम्हारा मैटर आयेगा, वहाँ तुम्हारा कागज़ भुला जायेगा तो कहोगे –
संगी साथी तो चले गए, अब मेरी चलने की बार |
कागज़ में कुछ हेराफेरी पड़ी है, यह देखन की है बात ||
सब संगी साथी हमारे भी चले जा रहे हैं भाई | अब तुम्हारा कागज़ इधर-उधर भुला जाता है तो क्या करोगे ? तुम्हारे अपने कर्मों से ही कागज़ में हेराफेरी पड़ जाती है |
अब अंतिम बात यह भी समझ लो आज कि सौ बरस के लिए कोई आश्रम बनाया जाता है | आजकल का कंस्ट्रक्शन लगभग सौ बरस के लिए होता है | बीस बरस में एक जनरेशन बदल जाती है | कमरा जो आप बनवाते हो आश्रम में तो आपकी पाँच जनरेशन तो वहाँ जायेंगी | रिज़र्व है न ! माने आपका पुत्र-पुत्री, नाती, पौत्र, प्रपौत्र तो वहाँ जायेगा कि हाँ, हमारे दादा ने यह बनवाया है | तो देखो कितने पुण्य काम में तुम्हारा नाम पर रजिस्टर हो रहा है |
वर्तमान काल में कोरोना राक्षस चीन से आया है, भस्मासुर भी चीन का ही था…
इस संवत्सर का नाम ही है- राक्षस | और राक्षस का अत्याचार भारत में हो रहा है | आपलोग यह जानकर आश्चर्य करोगे कि यह कोरोना का सबसे ज्यादा आक्रमण विश्व में भारत में है | बांग्लादेश जैसा छोटा सा दरिद्र देश भी अब भारत को मदद करने आया है | नेपाल करे तो भी ठीक है | केवल भारत में ही हाय-तौबा मचा है | क्यों ? भस्मासुर का नाम सुना है ? भस्मासुर चीन का ही था | वहाँ शंकर जी को प्रसन्न करके सिद्धि प्राप्त कर लिया | शंकरजी ने आशीर्वाद दिया, कहा कि वरदान क्या चाहिए, बोलो | कहा कि जिस पर हम हाथ रखें, वह जल जाए | अब शंकरजी पर ही हाथ रखने लगा | शंकरजी बोले कि अरे क्या करेगा ? कहा कि आपकी पार्वती जी बड़ी अच्छी हैं, उन्हीं को साथ रखेंगे | आप जलिएगा, मरिएगा तब न ! सुनते हैं कि शंकरजी देखो वहाँ कैलाश से (जहाँ हमलोग जाकर आये हैं) भागे |
शंकरजी सर्वसमर्थ हैं | जो खुद ही मृत्यु के देवता हैं, संहार की शक्ति रखते हैं, अपने ही वचन से फँसकर देखो भागे | राक्षस को वचन का यह परिणाम है | और वहाँ से शंकरजी सीधे भागकर के चले गए गुप्तधाम | जहाँ खाई है, गुफा है | उसमें शिवलिंग है, हर साल मेला लगता है | शिवजी गुप्तधाम में जाकर छुप गए | तब वहाँ भगवान् नारायण आकर के मोहिनी रूप पकड़े | इसलिए उस जगह का मोहनिया नाम हुआ | यह हमने ‘शिव तंत्र’ में लिखा है | आपलोगों ने पढ़ा होगा, नहीं तो पढ़ लेना | बिहार में मोहनिया है सासाराम के नजदीक | वहाँ मोहिनी रूप में भगवान् नारायण पेड़ के नीचे खड़े थे |
राक्षसी वृत्ति है तो उनको देखकर रुक गया कि आप कौन ? कहा कि शंकरजी के लिए तू क्यों परेशान है ? हम ही तुम्हारे साथ रह जायें तो क्या दिक्कत है ? कहा कि हम आप ही के लिए चाहते हैं कि शंकरजी को भस्म कर दें | मोहिनी रूपधारी नारायण बोले कि शंकरजी एक नृत्य करते हैं – थैया थैया, थै थै..| उससे मैं प्रसन्न रहती हूँ, उनके साथ रहती हूँ | यदि तुम वह नृत्य सीख जाओ, कर लो तो मैं तुम्हारे साथ चलूँ ! तो कहा कि कैसे होता है ? कहा कि बस, बायाँ हाथ नीचे करो और दाहिना ऊपर | नाच करो – तुमपर प्रसन्न होकर मैं चल दूँगी | छोड़ो, उसको मैं भी पसंद नहीं करती हूँ | न रहने को घर, न खाने को अन्न | देखते नहीं हो, वस्त्र के नाम पर एक मृगछाला लपेटे रहता है | नहाता-वहाता है नहीं, शरीर से भी दुर्गन्ध आती है | तुम्हारे जैसा सुन्दर आदमी कहाँ मिलेगा ?
भस्मासुर बड़ा खुश हुआ | तुरंत नाचने लगा | और ज्यों ही हाथ रखा ऊपर, अपने ही जल गया | भस्म हो गया |
तो चीन ने जो पहले कोरोना छोड़ा था, उससे यूरोपियन देश तबाह थे | अभी भारत में जो छोड़ा है- B1617 उसका नाम रखा है | यह उससे बहुत खतरनाक है, बहुत जल्दी-जल्दी मल्टीप्लाई होता है | एक दिन में पूरे घर को हो रहा है | भारत में भयंकर रूप से छोड़ा है | इसलिए जब देखा कि पश्चिमी देशों को तो हम दबा दिए, अब सबसे जबरदस्त देश भारत है तो यहाँ पर और घातक कोरोना वायरस छोड़ दिया | यह भी हम ही केवल कहते हैं | और बाबा लोगों की कहने की हिम्मत नहीं है | जानते हैं कि डर है |
पहले भी देखा होगा कि राक्षस हाथ से धुआँ छोड़ता था जहरीला | वह धुआँ निकला और सामने जो आया, गिर गया | मर गया | इसका मतलब जर्म्स निकले, उसके फेफड़े को, ह्रदय को दबा दिया | मर गया | देखा है न कि नहीं, टीवी में ? तो चीन ने इस तरह के 8000 राक्षस अपने यहाँ वुहान लैब में बनाया गया है | अभी तो एक ठौ छोड़ा था पश्चिम में, लेकिन थोड़ा कम-कम पर | अब थोड़ा ज्यादा करके भारत में छोड़ दिया | यह बिना युद्ध का युद्ध कर रहा है | कोरोना भारत को नहीं मार रहा है |
आपने देखा होगा कि उस समय में भी देवता लोग तपस्या में चले जाते थे | इस समय बहुत लोग मर रहे हैं | आपलोग भी अभी काढ़ा पीओ, प्राणायाम करो, तपस्या करो | जो हम बताये हैं योगासन और नस-नाड़ियाँ खोले की विधि, वह करो | एक बात और है, जो हम कहे हैं कि दान करो, नहीं तो दवा खाओ | हमलोग केवल कमाते हैं, देते नहीं हैं | भगवान् कृष्ण भी गीता में कहते हैं कि जो अपने कमाता है और अपने खा जाता है, वह चोर है | दूसरे का हिस्सा भी खा रहा है | हम सोचते हैं कि हम कमाए हैं, हमारा है | नहीं, उसमें दशांश दान करना चाहिए | यदि दशांश नहीं तो हम 5% से 2.5% तक कर दिए हैं, करो दान | नहीं तो दवा तो लेना पड़ेगा | यह तो टैक्स वसूली होती है न ! टैक्स नहीं दिया परमात्मा का तो वसूल करेगा किसी न किसी तरह से | वह वसूल लेता है | कुछ लोगों का वसूल हो जाता है तो कहता है कि जाओ, अब यह ठीक हो जाये | कुछ लोगों की वसूली में भी कुछ कमी रह जाती है तो पैसा भी खर्च करा लेता है, कहता है कि तुम ऊपर जाओ अब | तुम्हारी अब ज़रूरत नहीं है यहाँ रहने की | बहुत तरह का भयंकर हाल हो रहा है, हजारों रोज़ मर रहे हैं |
साधु-महात्माओं को पहले भी तंग करते थे राक्षस, लेकिन वो मरते नहीं थे जल्दी | अभी भी बताये हैं कि साधु-महात्मा लोग कोरोना से नहीं मर रहे हैं ज्यादा | जो ठीक-ठीक साधु है, महात्मा है, दूसरे का प्रारब्ध यदि नहीं लिया है तो मरता नहीं है | इसीलिए हम कहे हैं कि आपलोग यह करते रहो और यदि अपनी ज़िन्दगी में दान कुछ नहीं किया है तो हम बताये हैं कि दवारिका नाथ में जो आश्रम बन रहा है उसके नाम पर 50 गज, 100 गज के लिए जो हो, संकल्प ले लो | देखो उसमें तुरंत परिवर्तन होता है | बहुत लोगों का हो रहा है |
यह कोरोना राक्षसों और देवताओं का रिकवरी एजेंट हो गया है | राक्षस हमेशा सबल होते हैं | ‘जा को जौन स्वभाव छूटे न जीव से | नीम न मीठी होय सिंचे गुड़ घीव से ||’ लेकिन यह हमीं कह रहे हैं कि यह सब कुकृत्य है चीन का | जब शुरू हुआ पिछले साल तब भी हमने कहा, फिर इस साल भी कह रहा हूँ | अभी तक साढ़े तीन लाख भारत में, और पूरे विश्व में 32 लाख लोग मर गए | इतनी मृत्यु किसी विश्वयुद्ध में नहीं हुई हैं |
दूसरी यह भी बात है कि इतने लोग जो मर गए, यदि यही कहीं साधु बन जाते, भगवान् के जप में लग जाते तब वही शक्ति बढ़ती | लेकिन कोई नहीं साधु बन रहा है | लेकिन यह काम हमलोग नहीं कर रहे हैं | तब क्या ? जो पैसा-रुपया छिपा-छिपा रखे हैं, वह तो डॉक्टर को देना पड़ेगा न ! आजकल डॉक्टर पहले ही जमा करा लेता है ढाई लाख, तीन लाख, चार लाख | जो जैसा है, वैसा बिल बन रहा है आजकल | बिल भी नहीं बन रहा है, वह ले लेता है पैसा | चूँकि आजकल वह भी राक्षस हो गया है | आदमी को देखकर वसूलता है | वह भी नहीं दिया होगा तो यह वसूल लेता है सबका | हमलोग जो हैं, यम वसूलेगा तो दे देंगे लेकिन स्वेच्छा से धार्मिक काम में, यज्ञ में दान नहीं करेंगे |
आपलोग जो बता दिए हैं आसन, व्यायाम, प्राणायाम – वह करो | उसमें लगे रहो, दवा-काढ़ा का सेवन करते रहो | प्रभु का नाम लेते रहो | फिर आपका औरा बढ़ जायेगा | जो पूजा ठीक से, मन से करता है, सच बोलता है, ईमानदारी से रहता है, सत्य के मार्ग पर चलता है, उसका 5000 मेगावाट औरा हो जाता है | इसलिए आपलोग जो ‘दिव्य गुप्त विज्ञान’ दिया गया है, जितना आपको देवास्त्र-दिव्यास्त्र दिया गया है, उससे सब एनर्जी अपने में सहस्रार से नीचे उतारिये | फिर भेजिये |
जगह-जगह से खबर आई है, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र से , अपने में मिलकर ग्रुप करने लगते हैं लोग | ज्यादा इसपर अकोला (अकोट, महाराष्ट्र) में लोग काम किये हैं | सबसे ज्यादा पिछली बार कोरोना वहाँ पर हुआ, इस बार भी वहीं पर और शक्तिशाली होकर आया | एक दर्जन लोग वहाँ पर ग्रुप हीलिंग से हॉस्पिटल में भी नहीं गए, अपने ही स्वस्थ हो गए | इसलिए हम कहते हैं कि दस पांच लोग मिलकर ग्रुप हीलिंग करो | कुछ तो करना होगा न ! नहीं तो कहने लगते हो कि गुरुजी, आप ही कर दीजिए | अपना तन, मन, धन तीनों लगा दो | तन से अपने को हीलिंग करो, ध्यान साधना करो, पूजापाठ करो | सेवा करो | श्रम भी करो | मन से सुमिरन करो और धन का दान करो | जब तीनों लगा दोगे, तीनों तरफ से ऊर्जा आएगी तो आप पर निश्चित परमात्मा की कृपा होगी |
सुना ही है कि भस्मासुर के कारण शंकरजी बिहार में आकर शरणागत हुए, फिर व से भागकर काशी में चले आये हैं | कैलाश से भागकर काशी आ गए हैं | क्या करें ! और देखते ही हो उनके पीछे सब राक्षस आ गए हैं, घेर लिए हैं काशी को | अभी काशी की स्थिति गड़बड़ है न ! अब पूरे देश में हो गया है |
हरदम देवता लोग राक्षसों से भागते हैं | लेकिन सत्य की विजय होती है – सत्यमेव जयते | सत्य मत छोड़िए, अपने धर्म पर आरूढ़ रहिए, त्याग-तपस्या में रहिए | आपकी विजय होगी और राक्षस एक दिन मारा जायेगा | धन्यवाद !
|| हरि ॐ तत्सत् ||
‘समय के सद्गुरु’ स्वामी कृष्णानंद जी महाराज
आप सद्विप्र समाज की रचना कर विश्व जनमानस को कल्याण मूलक सन्देश दे रहे हैं| सद्विप्र समाज सेवा एक आध्यात्मिक संस्था है, जो आपके निर्देशन में जीवन के सच्चे मर्म को उजागर कर शाश्वत शांति की ओर समाज को अग्रगति प्रदान करती है| आपने दिव्य गुप्त विज्ञान का अन्वेषण किया है, जिससे साधक शीघ्र ही साधना की ऊँचाई पर पहुँच सकता है| संसार की कठिनाई का सहजता से समाधान कर सकता है|
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