एक बूँद। by Rakhi Sunil Kumar · Published June 9, 2021 · Updated July 22, 2022 एक बूँद । नन्हें पाँव उसके,छपक छपाक,उठे नाच,जब पड़े ज़मीन पर। बोली मुझ से,तुम ना समझोगे मेरी व्यथा,बादलों की कैद में थी इतने दिन,मिली हैं आज़ादी कुछ पल,लौट आयीं हूँ अपने घर मैं अब। कुछ दिन रहूंगी, माँ के आँचल में,सुस्ताऊँगी, दुलार लूंगी,फिर निकल पड़ूँगी,मैं तो बस एक बूँद हूँ,कभी इधर, कभी उधर। रचयिता – राखी सुनील कुमार Author Rakhi Sunil Kumar Rakhi Sunil Kumar has published three fictions – ‘Dancing Mirrors’, ‘Bougainvillea Anywhere Everywhere’ and ‘Songs of Water’. She has worked in IT for 30 Years, and now pursuing her interest in Writing! View all posts Submit Rating 4.9 / 5. 10 Post Views: 1,632 Share
Beautiful
बेहतरीन!
सुंदर है
Nicely written
Nice