Author:
Ashok Kumar Gupta
हसरत
कवि अशोक कुमार गुप्ता द्वारा रचित – कभी सारी दुनिया का साथ है बहुत भाता,
कभी खुद को भी भुलाने को जी चाहता है।
by Ashok Kumar Gupta · Published May 7, 2021 · Last modified January 3, 2022
निगाहों से जो बयां हो रहा है,
जला है कहीं कुछ, धुआं हो रहा है |
by Ashok Kumar Gupta · Published May 6, 2021 · Last modified January 3, 2022
सैकड़ों दर्द छिपे हैं, हर एक के सीने में,
मगर कहे किससे, हर कोई तो आंसू पीता है |
by Ashok Kumar Gupta · Published April 5, 2021 · Last modified July 22, 2022
सजा किस-किस को दोगे तुम सभी डूबे गुनाहों में ।
कि सारा देश ही बीमार है, हम इसलिए चुप हैं ।
by Ashok Kumar Gupta · Published April 3, 2021 · Last modified January 3, 2022
पीपल की शीतल छाया में, पास रहो तो बेहतर है
by Ashok Kumar Gupta · Published April 3, 2021 · Last modified January 3, 2022
कवि अशोक कुमार गुप्ता द्वारा रचित – कभी सारी दुनिया का साथ है बहुत भाता,
कभी खुद को भी भुलाने को जी चाहता है।