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दूसरी पारी

ज़िन्दगी की इक नयी पारी,
मन शांत,पर वही जोश,
मेरी अधूरी ख्वाहिशें,
मेरे सारे वो प्यारे सपनें,
मेरी अपूर्ण लालसाएँ ।

पुनर्जन्म

वो अपराजिता का छोटा सा पौधा धीरे धीरे रेंगता ,लिपटता बरामदे के जंगलों में पूरी तरह फैल गया।