उपसंहार
अंशुमन ने उस घटना के करीब 3 साल बाद शादी कर ली। परिवार के लाख मना करने के बाद भी […]
सफ़र, प्यार और एक अधूरी दास्ताँ
कुछ कहानियों में अनेकों कहानियां छिपी होती। शायद मेरी कहानी भी इन्हीं में से एक है।
सारांश
प्यार कब, किससे हो जाए.. कहना मुश्किल है… प्यार में न जात देखी जाती और न बिरादरी.. प्यार तो दो दिलों का संगम है, जो दैहिक सुख से परे है.. यूं तो प्यार करने वालो का विरोध हर युग में होता आया है..पर प्यार करने वाले न कभी रुके है और न कभी रुकेंगे…
प्रस्तुत कहानी प्यार की एक अनोखी दास्ताँ को बयां करती है। प्यार हमेशा पूर्ण हो, ये जरूरी तो नहीं.. कभी-कभी प्यार अपूर्ण होने के बावजूद कई मायने में सम्पूर्ण हो जाती.. इसी अपूर्णता में संपूर्णता की कहानी है, ‘सफऱ, प्यार और एक अधूरी दास्ताँ’
अंशुमन ने उस घटना के करीब 3 साल बाद शादी कर ली। परिवार के लाख मना करने के बाद भी […]
इतना पढ़ कर अंशुमन के हाथ से कागज का टुकड़ा गिर पड़ा और उस टुकड़े के साथ अंशुमन भी जमीं […]
थोड़े देर तक वंशिका एक दम शांत हो गई थी। मानो वो शून्य में कहीं लुप्त हो गयी हो। अंशुमन […]
अंशुमन वंशिका की ओर बार-बार देख रहा था। पर वंशिका इतने गुस्से में थी कि वो खिड़की की तरफ एकटक […]
अंशुमन को वंशिका की कही गई बात अब भी चुभ रही थी। वह अब भी तय नहीं कर पा रहा […]
“क्या बोल रही हो वंशिका? उसने तो उसी दिन, रात को कह दिया था कि हम बस दोस्त है और […]
ट्रैन की गति अभी कम हुई भी नहीं थी कि कुछ लोग अपने सामान को उठा कर ट्रैन के गेट […]
ट्रैन और बस में सामान बेचने वालों की मार्केटिंग करने की टैलेंट ही अलग होती। अच्छे- अच्छे कॉलेज से किये […]
मुझे कब नींद आ गई, पता भी न चला। रात के लगभग 8 बज चुके थे। किसी स्टेशन में गाड़ी […]
प्यार कब, किससे हो जाए.. कहना मुश्किल है… प्यार में न जात देखी जाती और न बिरादरी.. प्यार तो दो […]