अष्टावक्र गीता
भगवान् कृष्ण की गीता में विश्व के प्रत्येक धार्मिक और अधार्मिक आदमी के लिए कुछ न कुछ मसाला मिल जायेगा […]
भगवान् कृष्ण की गीता में विश्व के प्रत्येक धार्मिक और अधार्मिक आदमी के लिए कुछ न कुछ मसाला मिल जायेगा […]
हमलोग यदि मन को केंद्र बिंदु बना लेते हैं तो मन सुख चाहता है; तब हम पद, पैसा और प्रतिष्ठा […]
शिवत्व को, अपने आत्मस्वरूप को उपलब्ध होने के महापर्व ‘महाशिवरात्रि’ के अवसर पर विशेष….
वेद के ऋचा की ही बात सद्गुरु कबीर सतही भाषा में कहते हैं कि पाँच तत्वों एवं तीन गुणों से […]
राम अयोध्या पहुँचते हैं। भरत भक्ति, श्रद्धा के प्रतिरूप हैं। वे स्वागत करते हैं।
आज प्रथम जनवरी से नववर्ष प्रारम्भ हो गया। आप सभी लोग नए वर्ष का स्वागत ध्यान, जप, हवन, गुरु पूजा […]
हमारा स्थूल शरीर माँस, मेद और अस्थि से निर्मित है। इसी में प्राण स्थित है। जो इस शरीर को जीवनी […]
उपवास प्रकृति का नियम है। नवरात्र व्रत में उपवास का महत्त्व है। नवरात्र का अर्थ होता है-नव रात्रि।
यह शब्द अत्यन्त कीमती है। इसका अर्थ सत्य वचन नहीं होता है। चूँकि सत्य के विपरीत असत्य है।
हे पार्थ! इन यज्ञ, दान और तपरूप कर्मों को तथा और भी सम्पूर्ण कर्मों को आसक्ति और फलों का त्याग […]
हे पुरुषश्रेष्ठ अर्जुन! संन्यास और त्याग, इन दोनों में से पहले त्याग के विषय में तू मेरा निश्चय सुन| क्योंकि […]
आज गुरु पूर्णिमा है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। ऐसा क्यों? […]
इस विश्व ब्रह्माण्ड में सर्वत्र आत्मा का अस्तित्व है| कोई भी लोक या स्थान ऐसा नहीं है; जहाँ आत्मा की […]
हमारे ऋषि बार-बार कहते आ रहे हैं कि जो कुछ आप ब्रह्माण्ड में देख रहे हैं, देखना चाहते हैं वह […]
संसार शब्द का अर्थ है, जो निरंतर घूमता रहता है, गाड़ी के चाक की तरह। मन भी इसी तरह घूमता […]
महर्षि बाल्मीकि ने कहा था-‘सदा प्रिय लगने वाली बातें कहने वाले लोग सुलभ हैं। लेकिन सुनने में अप्रिय किन्तु परिणाम […]
सदैव से विषम विचारधराएं समरस प्रवाहित होती रहती हैं। जब सत्तासीन व्यक्ति भोगी, विलासी, सुख-सुविधभोगी तथा सत्तालोलुप हो जाता है […]
जो व्यक्ति जीते जी आसक्ति के स्वभाव के साथ-साथ इससे जुड़े सभी प्रकार के भय, ईर्ष्या, दुश्चिंता एवं स्वामित्व को […]
WE MAY REPRESENT LOVE as a triangle, each of the angles of which corresponds to one of its inseparable characteristics.
सुन्दरकाण्ड में सब सुन्दर है और सुन्दरकाण्ड की व्याख्या सुनने वाला भी जब उसको अपना लेता है, तो सब सुन्दर […]
आज का विश्व मानव एक ऐसे मुहाने पर खड़ा है जहाँ से वह आतुर दृष्टि से सद्विप्र द्वारा दिशा निर्देशन […]