आजकल जहां देखो वहां ‘मैं’ I
किसी से भी बात करो वहाँ ‘मैं’ I
मासूम है चेहरा उसका
आँखे भी बडी़ मासूम हैं
एक लड़की प्यारी प्यारी सी
आँखों में भरे काजल
बारिश की बूदों को
महसूस किया चेहरे पे कभी
लगा, मेरे चेहरे को छू गईं हों
ये किस चीज़ की है दौड़ ?
जो हमारे पास नहीं, पहले उसके पीछे दौड़,
हँसो मुस्कुराओ, जी खोलकर खिलखिलों,
इतना हँसो, की बैठे-बैठे ही गिर जाओ,
दो तरफा से प्यार कब
एक तरफा हुआ
पता ही नहीं चला।
इन जिदंगी की बेडि़यों
को सुलझाऊँ कैसे।
तुम तक आना भी चाहूँ
जीत भी तुम हो, हार भी तुम,
जो ना मिल सके वो अधूरा ख़्वाब भी तुम,
उदासी तुम पर
अच्छी नहीं लगती
हमेशा मुस्कुराया करो।