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‘मैं’

आजकल जहां देखो वहां ‘मैं’ I
किसी से भी बात करो वहाँ ‘मैं’ I

दौड़

ये किस चीज़ की है दौड़ ?
जो हमारे पास नहीं, पहले उसके पीछे दौड़,

ख़ूब हँसो

हँसो मुस्कुराओ, जी खोलकर खिलखिलों,
इतना हँसो, की बैठे-बैठे ही गिर जाओ,

सारथी

जीत भी तुम हो, हार भी तुम,
जो ना मिल सके वो अधूरा ख़्वाब भी तुम,