सफ़र, प्यार और एक अधूरी दास्ताँ (Part 2)
मुझे कब नींद आ गई, पता भी न चला। रात के लगभग 8 बज चुके थे। किसी स्टेशन में गाड़ी रुकी हुई थी।
मुझे कब नींद आ गई, पता भी न चला। रात के लगभग 8 बज चुके थे। किसी स्टेशन में गाड़ी रुकी हुई थी।
प्यार कब, किससे हो जाए.. कहना मुश्किल है… प्यार में न जात देखी जाती और न बिरादरी.. प्यार तो दो दिलों का संगम है, जो दैहिक सुख से परे है..