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ब्रह्म मुहूर्त का महत्त्व

पौराणिकों ने उषाकाल को ब्रह्म बेला कहा, बुद्धिवादियों ने गलती से उसे ही ब्रह्ममुहूर्त कहना चाहा। मुहूर्त क्षण भर का होता है-घंटों-घंटों का नहीं होता। ब्रह्म-बेला ढाई घंटे प्रातः में माना जाता है। प्रातः चार से छह बजे सूर्योदय पूर्व का समय।