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चारों वर्णों की एकात्मता का, ‘सद्विप्र’ का पर्व है होली
हमलोग यदि मन को केंद्र बिंदु बना लेते हैं तो मन सुख चाहता है; तब हम पद, पैसा और प्रतिष्ठा के इर्द-गिर्द घूमेंगे|
हमलोग यदि मन को केंद्र बिंदु बना लेते हैं तो मन सुख चाहता है; तब हम पद, पैसा और प्रतिष्ठा के इर्द-गिर्द घूमेंगे|
The wind blows
The river flows
The ice thaws ,
My mind glows.
क्या खुशी क्या गम, क्या ज्यादा क्या कम
जो अपना है वही पास है वही सुख दुख में संग है
पीला हरा लाल गुलाबी, रंगों की बौछार
रंगों की महफ़िल सजी, आया होली का त्योहार
बूढ़े बाबा के ठेले पर भी भीड़ उमड़ी थीं,
पर, रंगों के मोल भाव में, बाबा की
ठंडक की बिदाई है
गर्मी का आगमन है ।
फागुनी बयार कह रही है
चल पड़ा फागुन है ।