परिवर्तन
चल अचल जीवन के पथ पर,
कंटक कंकड़ आच्छादित रथ पर,
फिर अपना विश्वास अडिग कर,
परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त कर।
by Ashish Kumar Tripathi "Albela"
by Ashish Kumar Tripathi "Albela" · Published August 1, 2022 · Last modified August 3, 2022
चल अचल जीवन के पथ पर,
कंटक कंकड़ आच्छादित रथ पर,
फिर अपना विश्वास अडिग कर,
परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त कर।
उपवन वही डगर वही है
ग्राम वही है नगर वही है
गलियाँ तुम बिन सूनी हैं
कृष्ण में बहुत सम्भावना थी। हर समय नूतन थे। इनमें कुछ भी पुरातन नहीं।