हे कृष्ण, तुमसे प्रेम लगाऊँ।
बंट जाने से भी जो
बढ़ जाता है,
जिसके आने से
दुःख घट जाता है,
स्नेह ऐसा ही मैं पाऊँ।
बंट जाने से भी जो
बढ़ जाता है,
जिसके आने से
दुःख घट जाता है,
स्नेह ऐसा ही मैं पाऊँ।
कृष्ण में बहुत सम्भावना थी। हर समय नूतन थे। इनमें कुछ भी पुरातन नहीं।