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तन का मन, ब्रह्माण्ड का ब्रह्म

देह में चैतन्य का ही एक नाम है मन। सच कहें तो यह हमारी ही स्वप्नावस्था है। चेतन मन, अवचेतन मन, अचेतन मन और अति चेतन मन को क्रमशः बुद्धि, मन, चित्त, अहंकार नाम से हम जानते हैं। ये आत्मा के ही अलग-अलग व्यापार हैं। इनका अलग से अस्तित्व नहीं है।