ये साल भी जा रहा है …!

ये साल भी जा रहा है …!
ये साल भी जा रहा है,
कुछ यादों को देकर,
नए – नए इरादों को देकर
ये साल भी जा रहा है …!
खुली आँखों से देखते,
ख्वाबों को देकर,
नए साल मे कुछ नया करने की चाहत
ऎसा करे की न हो किसी को अब आहत,
गिले – शिकवे भुलाकर,
सबको गले लगाने की,
कला सीखा रहा है,
ये साल भी जा रहा है…..!
रचयिता नम्रता गुप्ता
Very nice