पल पल फिसलती जिदंगी

पल पल फिसलती जिदंगी
कस कर बंद की हुई मुट्ठी से
फिसलती हुई रेत की तरह
पकड़ के रखने है जो लम्हे
वो भी तो छूट जाते हैं
हाथ खाली ही रह जाता है और
हम कुछ भी कर नही पाते
सोचना और कर पाना
दोनों के बीच के दायरे
ख्वाब देखना और
उसे जी पाने के फासले
ऐसे अधूरे सपने भी टूट जाते हैं
समंदर की लहरें जब
पैरों को भिगा जाती हैं
केवल नमी ही नहीं,
रेत के निशां भी छोड़ जाती हैं
हर चीज के दो पहलू हैं
हर बात के अलग मायने
एक हमेशा छिपा होता है
जब दूसरा हो सामने
अब मसला ये है कि
हम किस ओर खडे़ हैं
इस तरफ या उस छोर खडे़ हैं
हमेशा देखते हैं वही
जो दिखता है
जो ओझल है उस पर
नजर नहीं जाती
लेकिन उसके अस्तित्व से इंकार नहीं
हर शै में है कुछ तो अलग
उसकी दुनिया में कोई चीज बेकार नहीं
करेगा वो वही
जो तुम्हारे लिए सही होगा
नहीं तो लाख चाहो कुछ
वही नहीं होगा
उस की रहमत पर हमेशा ऐतबार रखना
और हर बात के लिए
खुद को भी तैयार रखना
तूफान तो समंदर में आते ही रहते हैं
वो तुम्हें संभाल ही लेगा
बस तुम अपनी कश्ती पे भरोसा रख के
अपनी ठोकरों पे मझंधार रखना ।।
मीनू यतिन
Photo by Tiana: https://www.pexels.com/photo/woman-wearing-sweater-standing-in-front-of-beach-614503/
Thank you
Very nice👌